Gulzar Saab Shayari
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कभी इसका दिल रखा कभी उसका दिल रखा
इस कशमकश में भूल गए खुद का दिल कहां रखा
1
GULZAR SHAYARI
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यही तो ज़माने का उसूल है
जरुरत हो तो खुदा वरना बंदा फ़िज़ूल है
GULZAR SHAYARI
2
जो हमारे जज्बातो
की कद्र नही कर सकते, उनके पीछे पागल होना प्यार नहीं बेवकूफ़ी है
GULZAR SHAYARI
3
माफ़ी चाहता हूँ
तेरा गुनहगार हू ऐ दिल, तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी क़दर नही थी
GULZAR SHAYARI
4
अगर किसी से बिछड़ने का डर
तुम्हें हर रोज़ रहने लगे तो यकीन मानो कि उस इंसान को तुम एक दिन खो ही दोगे
GULZAR SHAYARI
5
पलट कर जवाब देना
बेशक गलत बात है लेकिन सुनते रहो तो लोग बोलने की हदें भूल जाते है
GULZAR SHAYARI
6
पूछा जो हमने किसी और
के होने लगे हो क्या, वो मुस्कुरा कर बोले पहले तुम्हारे थे क्या
GULZAR SHAYARI
7
ख़ुदा तूने तो लाखो की
तकदीर संवारी है, मुझे दिलासा तो दे की अब तेरी बारी हैं
GULZAR SHAYARI
8
तिनका सा मै
और
समुंदर सा इश्क़ डूबने का डर और डूबना ही इश्क़
GULZAR SHAYARI
9
ज़माने की तो फ़ितरत ही है
बातों से मुकर जाना… हम ही पागल थे जो वादों पर ऐतबार किया करते थे
GULZAR SHAYARI
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