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जो अमृत पीते हैं उन्हें देव कहते हैं और जो विष पीते हैं उन्हें देवों के देव “महादेव” कहते हैं हर हर महादेव
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मैं आरंभ हूँ.. मैं ही अंत हूँ
मैं जीवन हूँ.. मृत्यु भी मैं ही हूँ
मैं नीलकण्ठ हूँ नारायण मैं ही हूँ
मैं देव ही नहीं.. महादेव हूँ…।।
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ॐ नम: शिवाये… नाच रहे ड़मरू की ताल पर शिवशंम्भु त्रिशुलधारी गंगाधर बाबा महाकाल सर्वेशु…।।
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निराश नहीं करते बस एक बार सचे मन से भोले शंकर से फ़रियाद करो जय भोले जय भंडारी तेरी है महिमा न्यारी…।।
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मेरे महाकाल तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ तुम साथ हो महाकाल तो में अनंत हूँ जय श्री त्रिकालनाथ महाकाल…।।
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मन छोड़ व्यर्थ की
चिंता तू
शिव
का नाम लिये जा
शिव अपना काम करेंगे तू अपना काम किये जा…।।
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मेरे जिस्म जान में भोलेनाथ नाम तुम्हारा है आज अगर मैं खुश हूँ तो यह एहसान भी तुम्हारा है…।।
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विश्व का कण कण शिव मय हो अब हर शक्ति का अवतार उठे जल थल और अम्बर से फिर बम बम भोले की जय जयकार उठे…।।
Jay Mahakal
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Shayari
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