तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा …
तुझसे प्यार किया हे कोई गुनाह नही,
जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँगा
Tu Hajar Bar Ruthegi Fir Bhi Tujhe Mana Loonga …
Tujhse Pyar Kiya Hai Koi Gunah Nahi,
Jo Tujhase Door Hokar Khud Ko Saja Doonga
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की,
मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा था…
तो मोहब्बत कैसे ना होती।
Khwahish To Na Thi Kisi Se Dil Lagane Ki,
Magar Jab Kismat Mein Hi Dard Likha Tha…
To Mohabbat Kaise Na Hoti
इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-ग़म अक्सर,
कि दर्द हद से जो गुज़रेगा तो मुस्कुरा दूंगा…!
Isi Khyal Se Guzari Hai Sham-E-Gam Aksar,
Ki Dard Had Se Jo Guzarega To Muskura Dunga…!