क्या जाने कब मौत का पैगाम आ जाये,
न जाने यह दिल किस उम्मीद पर ठहेरा हैतेरी आँखों से छलकते गम की कसम,
प्यार का रिस्ता बहुत गहरा है
“Kya Jaane Kab Maut Ka Paigaam Aa Jaye,
Na Jane Yeh Dil Kis Ummed Par Thera Hai,Teri Aankhon se Chalkte Gum Ki Kasam,
Pyar Ka Ristha Bahut Gahera Hai.”
निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,खिड़की से तेरी सूरत न सही
तेरा साया तो नजर आएगा
Nikalte Hai Tere Aashiya Ke Aage Se
Sochte Hai Ki Tera Didar Ho JayegaKhidki Se Teri Surat Na Sahi
Tera Saya To Nazar Aayega
जानता हूँ मै, मेरा वक़्त मुझ पे बेरहम है
मरहम तो ना मिला,
मिले पल पल तो बस ज़ख़्म हैइस दुनिया से मे उमीद क्या रखूं
दुनिया भी तो उमीद पे कायम है
Janta Hu Mein, Mera Waqt Mujh Pe Beraham Hai
Marham To Na Mila
Mile Pal Pal To Bas Jakhm HaiIss Duniya Se Mein Umeed Kya Rakhu
Duniya Bhi Umees Pe Kayam Hai