कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता,
हमारी हालत तुम्हारी होती,जो रात हमने गुज़ारी तड़प कर,
वो रात तुमने गुज़ारी होती।
Kahi Kisi Roj Yun Bhi Hota,
Hamari Halat Tumhari HotiJo Rat Hamne Guzari Tadap kar
Wo Rat Tumne Gujari Hoti
मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं
शायद हमारी किसमत में चाहत ही नहींमेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नही..
Mujhe Usase Koi Shikayat Hi Nahi
Shayad Hamari Kisamat Mein Chahat Hi NahiMeri Takadir Ko Likhakar Khuda Bhi Mukar Gaya
Puchha To Bola Ye Meri Likhavat Hi Nahi..
दूर जाकर भी हम दूर जा न सकेंगे,
कितना रोयेंगे हम बता न सकेंगे,ग़म इसका नहीं की आप मिल न सकोगे,
दर्द इस बात का होगा कि हम आपको भुला न सकेंगे।
Dur Jakar Bhi Ham Dur Ja Na Sakenge,
Kitana Royenge Ham Bata Na Sakenge,Gam Isaka Nahin Ki Aap Mil Na Sakoge,
Dard Is Bat Ka Hoga Ki Ham Aapako Bhula Na Sakenge.