इश्क ऐसा करो की धड़कन में बस जाए
सांस भी लो तो खुश्बू उसी की आयेप्यार का नशा आँखों पे छाये
बात कोई भी हो पर नाम उसी का आये
Ishq Aisa Karo Ki Dhadkan Mein Bas Jaaye
Saans Bhi Lo To Khushboo Usi Ki AayePyaar Ka Nasha Aankhon Pe Chhaaye
Baat Koi Bhi Ho Par Naam Usi Ka Aaye
तुम्हारा इश्क़ तुम्हारी वफ़ा ही काफी है
तमाम उम्र यही आसरा ही काफी हैजहाँ कहीं भी मिलो, मिल के मुस्कुरा देना
ख़ुशी के वास्ते यह सिलसिला ही काफी है
Tumhara Ishq Tumhari Wafa Hi Kaafi Hai
Tamaam Umr Yehi Aasra Hi Kaafi HaiJahan Kahin Bhi Milo, Mil Ke Muskura Dena
Khushi Ke Wastey Yeh Silsila Hi Kafi Hai
ये ज़ालिम ज़माना क्या जाने इश्क़ क्या होता हैं
इश्क़ तो वह चाँद हैं की इसकी रौशनी में हम कली की तरह खिलते हैइश्क़ तो वह काँटा हैं की इसकी चुबन भी हमको मीठी लगती है
इश्क़ तो वह आईना हैं की उसमें हमारी नहीं उनका चेहरा दिखाई देता है
Ye Zalim Zamana Kya Jane Ishq Kya Hota Hein
Ishq To Woh Chand Hein
Ki Iski Roshni Me Hum Kali Ki Tarah Kiljathe HaiIshq To Woh Khata Hein
Ki Iski Chuban Be Humko Meethe Lagti Hai
Ishq To Woh Aiyna Hein
Ki Usmein Humari Nahi Unka Chehara Dikai Deta Hai