वो समझे न समझे हमारे जज़्बात को,
हम मानेंगे उनकी हर बात को,
हम चले जायेंगे एक दिन इस दुनिया को छोड़कर,
वो आंसुओं से रोयेंगे हर रात को…
Wo samjhe na samjhe hamare jazbaat ko,
Hum maanenge unki har baat ko,
Hum chale jaayenge ek din is duniya ko chodkar,
Wo Aasuon se Royenge har Raat ko…
चाहा था हमने जिसे, उसे भुलाया न गया,
ज़ख्म दिल का, लोगों से छुपाया ना गया,
बेवफाई के बाद भी इतना प्यार करती हू की,
बेवफा का इलज़ाम भी उस पर लगाया ना गया
Chaha tha humne jise, Use bhulaya na gaya,
Zakhm dil ka, Logo se chhupaya na gaya,
Bewafai ke baad bhi itna pyar karti hu ki,
Bewafa ka ilzaam bhi us par lagaya na gaya…
अपनी तो मोहब्बत की इतनी कहानी है,
टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है,
एक फूल किताबों में दम तोड़ चुका है,
मगर कुछ याद नहीं आता यह किसी की निशानी है।
Apni to mohabbat ki itni kahani hai,
Tooti hui kashti or thera hua pani hai,
Ek phool kitabon may dam tor chuka hai,
Magar kuch yaad nahi aata yeh kis ki nishani hai…