Na Lagao Zakhm Pe Marham

ये वक्त बदला और बदली ये कहानी है,
अब तो बस मेरे पास उनकी यादें पुरानी है,
न लगाओ मेरे ज़ख्मो पे मरहम,
क्योंकि मेरे पास बस उनकी यही बची हुई निशानी है।


Ye Wakt badal aur badli yekahaani hai
Aab to bas mere paas unki Yaadein Purani Hai
Na Lagao Mere Zakhm Par Marham
Kyoki Mere Paas Unki Yahi Bachi hui Nishaani Hai


Na Lagao Zakhm Pe Marham
Na Lagao Zakhm Pe Marham

जरूरी नही जीने के लिए सहारा हो,
जरूरी नही जिसे हम अपना माने वो हमारा हो,
कई कस्तियां बीच भबर में डूब जाया करती हैं,
जरूरी नही हर कस्ती को किनारा हो।


Jarur nahi Jeene ke liye sahara ho
Jaruri nahi jise ham apna maane wo hamaara ho
Kaii Kastiya beech bhawarr me doob jaaya karti hai
Jarur nahi ki Har kasti Ko Kinaara ho


हमे तो सिर्फ जिंदगी से एक ही गिला है,
क्यों हमे खुशियां न मिल सकी क्यों ये गम मिला है,
हमने तो उनसे इश्क-ए-वफ़ा की थी,
क्यों वफ़ा करने के बाद वेबफाई ही सिला है।


Hame to sirf Zindagi se ek gila hai
kyon Hame khushiya na mil saki kyo ye Gam mila hai
Hamne to unase Ishq-E-Wafa ki thi
Kyo Wafa Karne ke baad bewafai hi sila hai

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